
दतिया जिले के ग्राम करारीखुर्द की महिलाओं ने खेती व्यवसाय को अपना कर अपनी जिंदगी संवारने की कोशिश की है। इससे गांव की अर्थव्यवस्था को गति मिली है।
गांव की महिलाओं ने मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए खडे़ किए स्वसहायता समूहों और ग्राम संगठनों के माध्यम से इस व्यवसाय को अपनाकर विभिन्न फसलों का उत्पादन कर बाजार के कुछ हिस्से पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है। ये महिलाएं अपने परिवार के लिए भी मददगार बनी हुई हैं।
करारीखुर्द की बासठ वर्षीया श्रीमती पुक्खन यादव ने राधारानी स्वसहायता समूह से 20 हजार रूपये उधार लेकर अदरक, अरबी, मूंगफली की पैदावार की। यह राशि गांव के ग्राम संगठन ने उक्त समूह केा उपलब्ध कराई थी। यह राशि पुक्खन यादव को स्वसहायता समूह में शामिल होने के बाद मिली थी। पुक्खन यादव ने अपने बेंटों की मदद के लिए यह खेती बाड़ी शुरू की और इसमें कामयाबी हासिल की। शुरूआत में ही उन्हें ढ़ाई लाख रूपये की आमदनी हुई। इससे हालात पहले से काफी बेहतर हो गए।
वह साल में तीन फसलें लेती हैं और अपनी कमाई से उन्होंने 6 वीघा जमीन खरीद ली है। वह अपने बहु-बेटों की भरपूर मदद कर रही हैं, जिससे वे उनकी तारीफ करते नहीं अघाते। पुक्खन अपने खेतों में पच्चीस लोगों को काम दे रही हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या महिलाओं की है। वह स्वयं भी खेतों में काम करती हैं। उनकी मूंगफली दतिया, झांसी तक जाती है। वह सब्जी दतिया मंडी में पहुंचाती हैं।
पुक्खन बताती हैं कि उनके बेटे भी किसान हैं और वह भी खेती कर उत्पादन लेते हैं, लेकिन जबसे मैंने खेती का कार्य प्रारंभ किया है, पूर्व की अपेक्षा अधिक उत्पादन हेा रहा है और आमदनी बहुत बढ़ रही है। जिला परियोजना प्रबंधक श्रीमती संतमती खलको कहती हैं कि पुक्खन इस अवस्था में भी खेती बाड़ी का काम करके नव युवतियों और पुरूष किसानों को चुनौती दे रही हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन स्वसहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए लगातार काम रहा है। ग्राम संगठन की अध्यक्ष श्रीमती सीमा यादव का कहना है कि वृद्वावस्था होकर भी पुक्खन एक अच्छे अनुभवी किसान की भूमिका निभा रही हैं।
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