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गुरुवार, 28 नवंबर 2019

इंदौर जिले का पहला प्लास्टिक फ्री गांव-सिंदौड़ा "खुशियों की दास्तां" -

इंदौर जिले का पहला प्लास्टिक फ्री गांव-सिंदौड़ा "खुशियों की दास्तां"
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इन्दौर | -नवम्बर-2019
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    इंदौर जिले का सिंदौड़ा गांव प्लास्टिक फ्री विलेज बनने की दिशा में सकारात्मक प्रयास कर वाकई एक मिसाल बन चुका है। प्रशासन और आम जन के  मिलकर किए गये प्रयासों ने वर्तमान परिदृश्य में असंभव प्रतीत होते कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है।

सभी स्कूल हुए प्लास्टिक मुक्त

     स्कूल में आने वाले बच्चें प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें इसके लिए उन्हें स्टील के टिफिन व बॉटल दिए गए हैं। गांव के सभी स्कूलों को प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाकर प्लास्टिक मुक्त बना दिया है। तथा स्कूलों में बच्चें प्लास्टिक की बाटल से पानी न पिए इसके लिए आरओ वाटर मशीन भी लगाई गई है। बच्चों के अलावा गांव में रहने वाले व आने जाने वाले लोग भी प्लास्टिक बॉटल का इस्तेमाल नहीं करें, इसके लिए गांव में वाटर प्लांट लगाए जा रहे हैं। जहां पर तांबे के लौटे पानी पीने के लिए रखे जा रहे हैं।

सिंहासा बनेगा जिले का अगला प्लास्टिक फ्री गांव

    सिंदौड़ा गांव न केवल इंदौर जिले का , संभवत: प्रदेश का भी पहला प्लास्टिक फ्री गांव होगा। सी.ई.ओ.  जिला पंचायत इंदौर श्रीमती नेहा मीना ने बताया कि 30 नवंबर के बाद सिंहासा गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने पर काम शुरू किया जाएगा।

प्रशासन की अनुकरणीय पहल

    जिला पंचायत की टीम घर-घर जाकर प्लास्टिक की थैलियां जमा कर रही है और बदले में उन्हें कपड़े से बनी थैलियां दे रही है। और ये वो थैलियां हैं जो गांव की ही महिलाओं ने इस्तेमाल न आने वाले कपड़ों से बनाई हैं। घर-घर जाकर प्लास्टिक इस्तेमाल न करने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। इस तरह 30 नवम्ब र तक यह इंदौर जिले का पहला प्लास्टिक फ्री विलेज बल जाएगा।
    जनपद पंचायत सीईओ कुसुम मंडलोई ने बताया कि हमारे प्रयास इसलिए सफल रहे क्योंकि हमने प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की बात ही नहीं की, बल्कि लोगों को प्लास्टिक का विकल्प भी दिया। घरों से जो पुराने कपड़े हमने जमा किए उनसे गांव की ही महिलाओं ने संदुर थैलियां बना दीं। उन्हें रोजगार मिला और गांव वालों को पॉलीथिन का ऑप्शन।

इंदौर में भी अपनाया जायेगा यह मॉडल तैयारी तीन चरणों में शहर को प्लास्टिक फ्री बनाने की

    पहला चरण : घरों से पुराने कपड़े लेकर उनकी थैलियां बनाई जा रही है, ताकि प्लास्टिक की थैलियां के बदले ग्रामीण कपड़े की थैली का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही दुकानों पर आने वाले ग्राहकों को कपड़े की थैलियां में सामान देने के लिए काम किया जा रहा है, जो दुकानदार प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल कर रहे हैं उन पर स्पॉट फाइन किया जा रहा है। स्कूलों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
    दूसरा चरण : गांवों में होने वाले समारोह व अन्य आयोजनों में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हो इसके लिए बर्तन बैंक को डेवलप करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
    तीसरा चरण : गांवों में प्लास्टिक की बाटल का इस्तेमाल न हो, इसके लिए वाटर प्लांट लगाए जा रहे हैं।
 




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