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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

मछली पालन से मिटी सीपेज की समस्या - मिला लाखों का लाभ ( खुशियों की दास्तां ) सीपेज मिटाने के लिए मछली पालन अपनाया - लाखों कमाया सीधी

सीपेज मिटाने के लिए मछली पालन अपनाया - लाखों कमाया
सीधी -नवम्बर-2019
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         किसी भी समस्या को हल करने के लिए यदि सच्चे मन से प्रयास किया जाय तो उसका हल अवश्य मिलता है। समस्या हल करने के लिए किसी बड़े तकनीकी ज्ञान की जरूरत नहीं होती है। छोटी से तरकीब भी बड़ी समस्या का निदान कर देती है। सीधी जिले के ग्राम भैसरहा के किसान विष्णुकांत कुशवाहा ने अपनी मेहनत सूझबूझ तथा इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के आधार पर अपने खेतों में नहर से पानी के सीपेज की समस्या का निदान मछली पालन के रूप में किया है। इससे उनके खेतों में सीपेज की समस्या मिटी, साथ ही एक साल में 27 लाख रूपये की आमदनी मछली पालन से प्राप्त हुई। साहस करके विष्णुकांत द्वारा मछली पालन को अपनाना उन्हें दोहरा लाभ दे रहा है।

   सीधी जिले के ग्राम भैसरहा से बाणसागर सिंचाई परियोजना की नहर निकलती है। इससे गांव में खेती में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। लेकिन कई किसानों को नहर से पानी के सीपेज के कारण हानि हो रही है। किसान अपने खेतों में धान की फसल ले पाते हैं। गेंहू की फसल के लिए उनके खेत सुखते ही नहीं हैं। ऐसी ही समस्या विष्णुकांत कुशवाहा के खेतों में भी थी। उन्होंने खेतों के किनारे नाली बनाकर एक खेत को छोटे तालाब का रूप दे दिया। सहायक संचालक मत्स्य विभाग से तथा इंटरनेट के माध्यम से मछली पालन की जानकारी लेकर उन्होंने मछली पालन शुरू किया। उन्होंने जुलाई 2018 में कलकता से फंगेसियश किस्म की मछली के 33 हजार बीज अपने खेतों में डलवाये। नहर के कारण खेत में वर्ष भर पर्याप्त पानी उपलब्ध रहा । उन्हें अब तक खेत से 27 टन से अधिक मछली प्राप्त हो चुकी है। इससे उन्हें लगभग 27 लाख रूपये की आय हुई है। उन्होंने मछली पालन व्यवसाय से स्वयं का सफल रोजगार स्थापित करने के साथ चार अन्य व्यक्तियों को वर्ष भर रोजगार दिया। उनके खेतों में उत्पादित मछली इलाहाबाद, रीवा, सिंगरौली, गोविंदगढ़ में आसानी से बिक जाती है। व्यापारी उनके घर से मछली ले जाते हैं।

   पानी के सीपेज की समस्या को मिटाने के लिए मछली पालन की छोटी से तरकीब विष्णुकांत को लाखों का फायदा दे रही है। इसके आलावा उनके अन्य खेतों में धान के साथ-साथ गेंहू की भी अच्छी खेती हो रही है। मछली के कचरें से बनी खाद का खेतों में उपयोग करने से गेंहू का उत्पादन दुगना हो गया है। विष्णुकांत को छोटा से प्रयास दोहरा लाभ दे रहा है।
 



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