गेंदा की खेती बनी अतिरिक्त आय का साधन |
उमरिया |
भारत सरकार एवं राज्य सरकार के संकल्प अनुसार वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दुगनी करने के उददेश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र उमरिया ने जिले के तीनो विकासखण्डो मे सेटेलाइट गॉवो का चयन कर नवीनतम तकनीकियो को शीघ्र कृषकों के बीच पहुंचाने के लिए कार्य कर रहा है। उमरिया जिले के विकासखण्ड मानपुर में ग्राम-भरौली, पाली मे ग्राम बरहाई एवं करकेली में - ताली आदि गॉवो में 20-20 महिला कृषकों को चयनित कर गेंदा की खेती से जोडने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कडी में ग्रामीण कृषक महिलाओं के माध्यम से जिले मे गेंदा की खेती कराने के प्रयास के तहत गेंदा की नवीनतम किस्मों जैसे - पूसा नारंगी, पूसा बसंती, पूसा दीप, पूसा बहार आदि किस्मों की पौध उपलब्ध कराया गया है। जिसमे महिला कृषकों ने रूचि दिखाते हुये विगत 2-3 माह के अन्दर ही उत्पादित गेंदा फूलों को स्थानीय बाजार मे विक्रय कर अतिरिक्त आय प्राप्त करने में सफल हुई है, जिसके कारण उनमे अति उत्साह देखा जा रहा है। गेंदा की खेती एक ओर अतिरिक्त आय का साधन तो है ही, साथ ही घर की सुन्दरता एवं स्वच्छता की ओर बढते कदम में एक विशेष घटक के रूप मे भी सहयोगी है। एक विशिष्ट तकनीकी लाभ भी है, गेंदा की खेती सब्जियों एवं चना आदि की फसलों के साथ करनेे से उनमे लगने वाले रोगों व कीडो के प्रकोप में भी कमी देखी गई है। जिसका प्रमुख कारण गेंदे की जडो से स्त्रवित होने वाला विशिष्ट रासायन तत्व के कारण मृदा के अन्दर पनपने वाले रोगाणुओ को नष्ट करने की क्षमता होती है। सब्जियों एवं फसलों के साथ गेंदा की खेती करने से मुख्य फसल में रोग व कीट नियंत्रण हेतु उपयोग किये जाने वाले रासायनिक दवाओं के उपयोग मे कमी आती है जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण व लागत मे भी कमी देखी गई है। उमरिया जिले के विकासखण्ड मानपुर में ग्राम-भरौली, पाली मे ग्राम बरहाई एवं करकेली में - ताली आदि गॉवो में 20-20 महिला कृषकों को चयनित कर गेंदा की खेती से जोडने का प्रयास किया जा रहा है। उक्त कार्य कृषि विज्ञान केन्द्र मे पदस्थ वैज्ञानिक डॉ. विनीता सिंह (गृह वैज्ञानिक) द्वारा केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ के.पी. तिवारी के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। जिसमें जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र मित्र कृषक श्री अनुराग शुक्ला ग्राम चंदिया का सक्रिय सहयोग सराहनीय है। कृषकों की आय दुगनी करने हेतु चयनित सेटेलाईट गॉव मे कृषि से जुडे अन्य सहयोगी विभागो से कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको का अनुरोध है कि अपने-अपने विभाग से संबंधित योजनाओं को अनिवार्य रूप से कृषकों के बीच पहुचाने व प्रदर्शित करने का कष्ट करें ताकि उक्त चयनित सेटेलाईट गावों मे नवीनतम तकनीको को प्रयोगिक रूप से देखकर विकासखण्ड के अन्य गांवो के कृषकों तक तकनीकी स्थानान्तरण हो सके। अभी तक उक्त गॉवो में धान रोपाई की मशीन, धान की नवीनतम रोगरोधी किस्म - जे.आर.-81, नवीनतम फसल किनोवा की खेती, उन्नत जैव उर्वरकों का उपयोग, मूंग, अरहर, चना, गेहूँ, एवं मटर आदि की उन्नत किस्मों को पहुंचाने का प्रयास किया जा चुका है। प्रस्तुतकर्ता गजेंद्र द्विवेदी |
बुधवार, 27 नवंबर 2019

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फूलों की खेती की जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र एमरिया की पहल "खुशियों की दास्तां" गेंदा की खेती बनी अतिरिक्त आय का साधन उमरिया |
फूलों की खेती की जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र एमरिया की पहल "खुशियों की दास्तां" गेंदा की खेती बनी अतिरिक्त आय का साधन उमरिया |
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