सिंघाड़े की खेती ने हितेन्द्र की बदली तकदीर (खुशियों की दास्तां) - - Vidisha Times

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

सिंघाड़े की खेती ने हितेन्द्र की बदली तकदीर (खुशियों की दास्तां) -

जिले में किसान परंपरागत फसलें लेने के साथ-साथ फल-फूलों एवं सिंघाड़े की खेती लेकर अपनी आय में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण जनपद पंचायत ग्राम अकबरपुर के किसान श्री हितेन्द्र प्रताप सिंह हैं। जिन्होंने एक बीघा में सिंघाड़े की खेती कर 30 हजार रूपए का मुनाफा कमाया । जो अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने हैं और वे क्षेत्र में सिंघाड़े की खेती करने के लिए जाने-जाते हैं।
श्री हितेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि एक बीघा में सिंघाड़े की फसल लगाने में कुल 10 हजार रूपए का खर्चा आया। जबकि 40 हजार रूपए प्रतिबीघा के मान से सिंघाड़ा बेचकर सीधा 30 हजार रूपए का मुनाफा कमाया। इस सिंघाड़े की खेती ने हमारी तकदीर ही बदल दी।
     हितेन्द्र सिंह ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में कृषकों को परंपरागत खेती के साथ कम लागत में अधिक आय देने वाली सिंघाड़े की खेती के बारे में भी जानकारी दी गई और बताया कि एक बीघा में सिंघाड़े की फसल लेने हेतु 800 से 900 रूपए के पौधे (बेल) लगानी पड़ती है। वैसे पके हुए सिंघाडों से भी नई बेल तैयार की जा सकती है, जिस पर मुश्किल से 600 से एक हजार रूपए खर्चा आता है। उन्होंने बताया कि सिंघाड़े के तोड़ने का कार्य श्रीगणेश चतुर्थी से शुरू हो जाता है। प्रथम तुड़ाई में प्रति बीघा 12 क्विंटल सिंघाड़ा निकलता है। जिसके अच्छे दाम 50 रूपए प्रतिकिलो के मान से मिलते हैं। जबकि इसके बाद आने वाले सिंघाड़े 20 से 30 रूपए प्रतिकिलो के दाम में मिल जाते हैं।
    उन्होंने बताया कि सिंघाडे की फसल लेने के बाद खेत में जमीन में पानी खत्म हो जाता है और सिंघाड़े की बेल सड़ने लगती हैं जो गेहूँ की फसल लेने के लिए कम्पोस्ट का काम करती है। जमीन सूखने पर रोटावेटर चलाकर गेहूँ के लिए जमीन तैयार कर फसल ली जाती है।  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

VIDISHA TIMES