राजगढ़ | 31-दिसम्बर-2019 |
जिला न्यायाधीष एवं अध्यक्ष श्री प्रभात कुमार मिश्रा के मार्गदर्षन में आज 31 दिसम्बर को ए.डी.आर. भवन, राजगढ़ में ''किषोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2016'' विषय पर पैरालीगल वालेंटियर्स हेतु एक दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त प्रषिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती अंजलि पारे एवं विषेष अतिथि के रूप में श्री डी.पी. सिंह उपस्थित थे। श्रीमती अंजलि पारे ने किषोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु बालकों से जुडी समस्त संस्थाओं के मध्य समन्वय स्थापित कर, बेहतर ढ़ंग से कार्य करने के निर्देष दिये और कहा, कि किषोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत वर्तमान समय में सबसे अधिक प्रकरण दर्ज किये जा रहे है, क्योेंकि बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा नैतिक षिक्षा एवं संस्कार नहीं दिये जा रहे है। श्री डी0पी0 सिंह ने भी किषोर न्याय अधिनियम-2016 के नवीन संषोधनों की जानकारी देते हुये पैरालीगल वॉलेंटियर्स को नालसा बालकों के साथ मैत्रीपुर्ण व्यवहार एवं विधिक सेवा योजना की जानकारी दी। प्रषिक्षण के दौरान उपस्थित पैरालीगल वॉलेंटियर्स को अधिनियम के विषेष प्रावधानों की जानकारी देते हुये कहा, कि किषोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत किसी अपराध में विधि विरूद्ध बालक को गिरफ्तार किये जाने पर हथकड़ी नहीं लगाई जाती है और पहचान पुलिस थाने से लेकर किषोर न्याय बोर्ड तक गोपनीय रखी जाती है। प्रिंट/ईलेक्ट्रॉनिक मीडिया के द्वारा भी ऐसे बालकों की पहचान हेतु कोई भी प्रकाषन नहीं करना चाहिये। यदि कोई व्यक्ति या संस्था पहचान संबंधी प्रकाषन करती है, तो अधिनियम के अंतर्गत दण्ड के प्रावधान है। किषोर न्याय बोर्ड में बालकों के साथ मैत्रीपूर्ण संव्यवहार किया जाता है और सुधारात्मक रवैया अपनाया जाता है लेकिन जघन्य अपराधों में दण्डित भी किया जाता है। किषोर न्याय बोर्ड के समक्ष पुलिस के अधिकारी, अधिवक्ता सादा ड्रेस में उपस्थित होते है। वर्दी या काला कोट नहीं पहनते है, ताकि बच्चों के मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव ना पडे और वे भयभीत ना हो। विधि विरूद्ध बालकों के दोषसिद्ध होने पर निर्णय में यह लेख किया जाता है, कि उक्त आपराधिक कृत्य के कारण भविष्य में उनके चरित्र पर लांछन नहीं लगाया जावे और समय अवधि पश्चात् अभिलेख नष्ट किया जाये। किषोर न्याय बोर्ड में स्थापित लीगल एड क्लीनिक में पैरालीगल वॉलेंटियर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे विधिक सेवा उपलब्ध कराने के साथ ही परामर्षदाता एवं परीविक्षा अधिकारी द्वारा बच्चों के प्रकरण में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट में भी सहयोग प्रदान कर सकते है। |
मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

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किशोर न्याय अधिनियम-2016 विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
किशोर न्याय अधिनियम-2016 विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
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