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मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का केम्‍प 14 को केम्‍प के मद्देनजर अधिकारियों की बैठक में दी गई जानकारी

गुना | 10-दिसम्बर-2019
 



 

 

 


    अपर कलेक्‍टर श्री लोकेश कुमार जांगिड की अध्‍यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई जानकारी अनुसार शनिवार 14 दिसंबर 2019 को नवीन कलेक्ट्रेट भवन गुना में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के द्वारा कैंप का आयोजन प्रातः 9:00 बजे से किया जाएगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) भारत सरकार की वैधानिक संस्था है। जो बच्चों को संविधान द्वारा एवं विभिन्न कानूनों द्वारा जिन अधिकारों का प्रावधान किया गया है। उन्हें लागू करवाने हेतु कार्य करता है। यदि बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित (जैसे बाल श्रम, भिक्षावृत्ति, बच्चों के प्रति हिंसा, मारपीट, दुर्व्‍यवहार आदि) कोई भी शिकायत है, तो कोई भी व्यक्ति, बच्चा, माता-पिता, पालक, देखभाल करने वाले, या कोई भी व्यक्ति जो बाल अधिकारों के लिए कार्य करता है। वह आयोग के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। आयोजित बैठक में विभिन्‍न विभागों के कार्यालय प्रमुख मौजूद रहे।
    इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री डी.एस. जादौन ने बताया कि 14 दिसंबर 2019 को आयोजित होने वाले आयोग के केम्‍प में बाल अधिकार आयोग को प्राप्त की जाने वाली शिकायत बच्चों के अधिकार से संबंधित नियत क्षेत्रों में से किसी भी प्रकार की या इनके अतिरिक्त भी हो सकती है। शिकायतों में घरेलू श्रम के रूप में बच्चों से खतरनाक कार्य करवाना, बच्चों को भुगतान-क्षतिपूर्ति ना करना, मुक्त कराए गए बाल श्रमिकों की स्वदेश वापसी, सड़कों पर बच्चों द्वारा सामान बेचना, एसिड अटैक से संबंधित मामले, सड़कों पर माता-पिता या अभिभावकों के साथ या अन्य किसी के साथ भिक्षावृत्ति, जबरन भिक्षावृत्ति, शारीरिक शोषण/ हमला/ परित्याग/ उपेक्षा, घरेलू हिंसा से पीड़ित बच्चे, एचआईव्‍ही के कारण बच्चों से भेदभाव, पुलिस द्वारा बच्चों से मारपीट, बाल देखरेख संस्थाओं में शोषण, अवैध रूप से गोद लेना, बाल देखरेख संस्थाओं द्वारा बच्चों को बेचना, बच्चों के विरुद्ध हिंसा, बच्चों को बेचना, उपेक्षा के कारण मृत्यु, अपहरण, गुमशुदा बच्चे, आत्महत्या, इलेक्ट्रॉनिक/ सोशल/ प्रिंट मीडिया में बच्चों के अधिकारों का हनन, आसपास के स्कूल का ना होना, आधारभूत संरचनाओं की कमी, बच्चों से मान्‍य सीमा से अधिक फीस लेना, स्कूलों में शारीरिक दंड एवं शारीरिक शोषण, स्कूल में प्रवेश देने से मना करना, दिव्यांगता संबंधित शिकायतें, भेदभाव, बच्चों में एनसीईआरटी/ एससीईआरटी के अलावा अन्य पुस्तकें, शैक्षणिक प्राधिकारी द्वारा बनाया गया पाठ्यक्रम /मूल्यांकन प्रक्रिया का पालन न करना, स्‍कूल परिसर का दुरुपयोग, स्‍कूल बंद किए जाने पर वैकल्पिक व्‍यवस्‍था न होना, यौन शोषण, क्षतिपूर्ति, चिकित्‍सकीय उपेक्षा, उपचार में देरी, उपचार में निष्क्रियता, बीमारी से संबंधित, कुपोषण, मध्‍यान्‍ह भोजन एवं नशाखोरी शामिल है।




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