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गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

सेंट्रल इनलेण्ड फिशरीज रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिकों ने लिया नर्मदा के जल का सैम्पल एवं बताये निष्कर्ष

बड़वानी | 12-दिसम्बर-2019
 



 

 

 


   


    पश्चिम बंगाल के बैरखपुर के सेंट्रल इनलेण्ड फिशरीज रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिकों ने नर्मदा नदी का भ्रमण कर उसके जल का सैम्पल एकत्रित किया है। साथ ही उन्होने नर्मदा की मछली की विभिन्न प्रजातियों एवं जीव जंतु का भी सूक्ष्म अवलोकन किया है।  साथ ही सितम्बर माह में की गई जॉच के आधार पर विभिन्न निष्कर्षो से भी स्थानीय स्तर  के पदाधिकारियो को अवगत कराया है।
    सहायक संचालक मत्स्योद्योग बड़वानी श्री महेन्द्रकुमार पानखेड़े से प्राप्त जानकारी अनुसार इस दल में बैरखपुर के वैज्ञानिक श्री ए.के.दास,  कुमारी सेजल थामसन, टेक्निकल आफिसर श्री बाबू नस्कर एवं मानडेब जीराबाद धार के पदाधिकारी सम्मिलित थे। श्री पानखेड़े ने बताया कि दल द्वारा लिये गये जल-जीव जंतु सैम्पल को वे अपने संस्थान में सूक्ष्म निरीक्षण, परीक्षण कर जांच रिपोर्ट तैयार कर बतायेंगे। जिससे नर्मदा नदी में मत्स्य जैव विविधता जीविकों के संबंध में दूरगामी प्रभाव एवं परिवर्तन की जानकारी मिल सकेगी। इससे नर्मदा के जलीय जीव-जंतु को ओर समृद्ध करने में मदद मिलेगी।
    श्री खेड़े ने बताया कि इस दल ने पूर्व में 23 सितम्बर 2019 के अपने भ्रमण के दौरान लिये गये सेम्पल के आधार पर विभिन्न निष्कर्ष प्राप्त कर उससे स्थानीय स्तर के अधिकारियों को अवगत कराया है। जो इस प्रकार है:-  
    शक्ति -


  •     मध्यप्रदेश में मत्स्योद्योग में विशेषकर बड़वानी जिले में बायोमेट्रिक पेरामीटर में वृद्धि हो रही है।

  •     सरदार सरोवर के कारण जिले में 20 किलोमीटर क्षेत्र में अतिरिक्त जलभराव के कारण मत्स्य उत्पादन जिले में वृद्धि होगी।

  •     कमजोरी:-

  •     नर्मदा नदी में सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्णतः प्रतिबंद है,  फिर भी प्लास्टिक एवं गंदे नाले के कारण नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। अतः जनता में जागरूकता अभियान चलाया जाना अनिवार्य है।

  •     बायोलाजिकल बैलेंस फिशरीज बना रहे। इसके कारण मछुआरो द्वारा छोटे साईज एवं महाजाल नही चलाया जाना चाहिये, नही तो मत्स्य जीवियो का प्रकृतिक बैलेंस खत्म हो जायेगा।

  •     अवसर:-   

  •     गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र राज्यो में  मछुआरो को स्थाई रोजगार मिलेगा। इससे निजी क्षेत्रो में उद्योगो की स्थापना से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे जिससे मछुआरो की आय में वृद्धि होगी।

  •     चेतावनी:-  

  •     सरदार सरोवर के जल क्षेत्र, ककराना और दूसरे क्षेत्रो में छोटे आकार के जाल, बम से मछली मारना, महाजाल का उपयोग करना, मत्स्य प्रजातियो की बाढ़ में कमी ला सकते है। अतः इनसे नर्मदा की कई प्रजातियो के विलुप्त होने का खतरा बना रहेगा।







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