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शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

ग्लिसरीन साबुन बनाकर विमला पकड रही है तरक्की रफ्तार "खुशियों की दास्तां"

श्योपुर | 10-जनवरी-2020
 



 

 

 




     श्योपुर जिले के मालीपुरा गांव की रहने वाली श्रीमती विमला आदिवासी आम आदमी के उपयोग में आने वाले ग्लिसरीन साबुन बनाकर समूह के माध्यम से बेचने में आर्थिक तरक्की की रफ्तार पकडने में सहायक बन रही है।
      जिले के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी कम पढी होने के कारण रोजगार की तलाश में भटक रही थी। उसके गांव में जब मप्र डे आजीविका मिशन के परियासेजनाकर्मी ग्रामीणो को रोजगार दिलाने की दिशा में समझाइश दे रहे थे। तब उनकी प्रेरणा से विमला स्वसहायता समूह का गठन किया जाकर ग्लिसरीन से साबुन बनाने की विधि बताई। तब श्रीमती विमला ने अपने समूह से 11 महिलाओ को जोडकर ग्लिसरीन से साबुन बनाने की मन में ठान ली। साथ ही उनके साबुन बनाने के व्यवसाय ने धीरे-धीरे गति पकडी। साथ ही व्यवसाय से होने वाले लाभ की राशि को स्वसहायता में जमा करने लगी। उनका समूह अन्य महिलाओ के लिए प्रेरणादायी बन गया है।
    कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने डीपीएम श्री सोहनकृष्ण मुदगल को दिये गये निर्देशो के क्रम में कई स्वसहायता समूह तरक्की की रफ्तार पकड रहे है। जिसमें आदिवासी विकासखण्ड कराहल के अंतर्गत विमला समूह तरक्की की रफ्तार पकडने में आगे बढ रहा है। साथ ही अन्य समूहो के लिए प्रेरणादायी सिद्ध हो रहा है।  श्रीमती विमला आदिवासी द्वारा गठित समूह की महिलाएं आधा किलो ग्लिसरीन देकर इसे गर्म करके इसे साबुन का रूप प्रदान कर रही है। इस साबुन को बनाने में गुलाब की पत्तियों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे इस साबुन में खुशबू की महक दौड रही है।
    जिले के कराहल विकासखण्ड के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ग्लिसरीन युक्त साबुन बनाने के बारे में भी अन्य समूहो को प्रेरणा दे रही है। साथ ही और आदिवासी परिवारों को साबुन के उपयोग से स्वच्छता तथा सफाई के बारे में अवगत कराते हुए अपने समूह की आर्थिक आय में इजाफा करने में समक्ष बन रही है। श्रीमती विमला आदिवासी ने बताया कि ग्लिसरीन साबुन त्वचा को हर समय मॉइस्चराइज रखता है। जिसके कारण त्वचा को झुर्रीयों और खिंचाव दूर करने में ग्लिसरीन साबुन काफी उपयोगी होता है। इसी प्रकार सूखी एवं संवेदनशील त्वचा वाले लोगो के लिये ग्लिसरीन साबुन अच्छा विकल्प भी है।
     आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ने बताया कि मप्र डे आजीविका मिशन के माध्यम से ग्लिसरीन से साबुन बनाने की प्रेरणा मिली है। जिसका श्रेय जिला प्रशासन और मप्र सरकार को जाता है।




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