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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

विशेषज्ञों ने बताया- घर के कचरे से खाद बनाकर छत पर ऑर्गेनिक गार्डनिंग करने का तरीका कपोज्ड खाद बनाकर बागवानी करना नारियल के छिलके के उपयोग की दी जानकारी

दमोह | 20-फरवरी-2020
 



 

 

 


    घर की छत, बालकनी, बगीचा यहां तक कि किचन में भी ऐसी खाद तैयार की जा सकती है, जिसका इस्तेमाल आप घर की बागवानी में कर सकते हैं। इस खाद के द्वारा बिना मिट्टी के भी पौधे लगाए जा सकते हैं। सुनने में यह बात थोड़ी अचरज भरी लगे, लेकिन यह हकीकत है। जिसे समझाने कुछ विशेषज्ञों का दल दमोह आया था।
            शहर के एसपीएम नगर स्थित श्री शिव शनि हनुमान मंदिर के हाल में अभिषेक जनजागृति समाज कल्याण समिति के तत्वाधान में ऑर्गेनिक गाडर्निंग के टॉप सीक्रेट बताने के लिए कुछ विशेषज्ञ आए थे। उन्होंने केवल मौखिक स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रायोगिक तौर पर भी यह बात बहुत ही खूबसूरती से समझाई। नागपुर निवासी नीलेश कुमार ने जब खुद ऑर्गेनिक फल, सब्जी और फूलों की कमी महसूस की और घर में जैविक खाद बनाकर बागवानी करने की बातों में जानकारियां प्राप्त करना चाही और इस अभियान में जुट गए।

कचरा हमारा तो निस्तारण की जिम्मेदारी भी हमारी

    बागवानी की इस दिलचस्प कार्यशाला में उन्होंने बताया कि भारत में 4 सदस्यों वाले एक परिवार में निकलने वाले गीला कचड़ा, जिसमें पेड़- पौधों की पत्ती ,सब्जी- फलों के छिलके, गुठलियों निर्माण आदि रूप में अपशिष्ट इतना निकलता है कि 1 माह में एक मटका कपोज्ड खाद आराम से बनाई जा सकती है। इनका मानना है कि जब कचरा हम करते हैं तो उसके निस्तारण की जिम्मेदारी भी हमारी ही होनी चाहिए। घर में बनने वाली कपोज्ड खाद में मिट्टी मिलाए बिना भी पौधे लगाए जा सकते हैं। जिस मटके में  खाद बनाई जाती है उसी में पौधा भी लगा सकते हैं और इसमें मिट्टी नहीं होने से उसका वजन भी कम होता है।

इस तरह बना सकते हैं खाद

     मटके में पेचकस की मदद से अलग-अलग स्थान पर करीब 10-15 छेद कर ले। नारियल का छिलका या कोकोपीट की 3-4 इंच की परत बिछा दे।इस परत पर सूखे पत्ते, थोड़ी सी मिट्टी और रोजाना क्रीम बेस्ट डालें।हर दिन ग्रीन बेस्ट डालकर एक लकड़ी से उसे हिलायें। मटके को स्टैंड पर रखें और उसके नीचे कोई वर्तन रखे ताकि मटके से रिसने  वाला पानी उस बर्तन में इकठ्ठा हो जाए। जब एक मटका भर  जाए तो दूसरा मटके में प्रकिया दोहराएं। खाद बनने में करीब 3 माह का वक्त लगता है।खाद बनने की निशानी है कि उसमें से मिट्टी की महक आने लगती है। मटके से रिसकर जो पानी नीचे बर्तन में आता है उसमें तीन गुना पानी मिलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल करें।

इन बातों का रखें ध्यान

    यदि खाद बनाते वक्त इसमे बदवू आने  लगे तो पानी में हल्दी घोलकर  छिड़काव कर दे। पानी ज्यादा हो जाए तो अनप्रिंटेड कागज या गत्ते के टुकड़े डाल दें। चाय पत्ती, बचा हुआ खाना आदि इसमें सीधी  नहीं डालें क्योंकि उसमें तेल मसाले शक्कर होती है। उन्हें पानी से धो कर सुखा कर डाल दें।

कपोज्ड खाद के फायदे

    गीले कचरे से बनी खाद से अतिरिक्त खाद नहीं खरीदना पड़ता। केमिकल रहित फल ,सब्जी और फूल घर पर ही उगाये जा सकते हैं। जब घर में ही सब्जी, फल और फूल होंगे तो वे ताजे भी मिलेंगे और खर्च में भी कमी आएगी । प्रदूषण पर रोक लगेगी । गीले कचरे के निस्तारण में नगरपालिका को अतिरिक्त मेहनत नहीं करना पड़ेगी। कचरे का निस्तारण का शुल्क भी  नगरपालिका को कम देना होगा। इस कार्यशाला में इन विशेषज्ञों के अलावा अभिषेक जन  जागृति समाज कल्याण समिति के पदाधिकारियों सहित अनेक किसानों की उपस्थिति रही ।कार्यक्रम का सफल संचालन समिति के उपाध्यक्ष अमित दुबे एवं आभार प्रदर्शन ललित धर द्विवेदी द्वारा किया गया।




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