खरगौन | 01-मार्च-2020 |
कसरावद में आयोजित दो दिवसीय चिली फेस्टिवल का दूसरा दिन रविवार किसानों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण साबित हुआ। दूसरे दिन वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने सारगर्भित जानकारियां दी। वही प्रगतिशील किसानों ने भी अपना व्यावहारिक ज्ञान किसानों के समक्ष रखा। किसानों के बीच 32 वर्षों से कार्य कर रहे डॉ. रविंद्र पस्तोर ने किसानों से कहा कि मालवा निमाड़ का किसान प्रदेश के अन्य किसानों से 60 वर्ष आगे की खेती कर रहे है। अब खेती किसानी एक व्यवसाय बन गया है। इस व्यावसायिक खेती को किसान मार्केटिंग का तड़का लगा दे, तो निश्चित भरपूर लाभ ले सकता है। डॉ. पस्तोर ने किसानों के उत्पाद और बाजार के बीच की कड़ी को दूर करने के उपाय सुझाएं। साथ ही उन्होंने किसानों द्वारा खरीदे जाने वाले कृषि आदान की लागत पर होने वाले असर पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ. पस्तोर ने किसानों से कहा कि किसान मंडी में ग्रेडिंग के साथ अपनी उपज बेचे ऐसे प्रयास उन्हें और सरकार दोनों तरफ से होने चाहिए। तकनीकी पूरे सत्र के दौरान कृषि मंत्री श्री सचिन सुभाष यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अरुण यादव, उद्यानिकी आयुक्त एम. काली दुराई, कलेक्टर श्री गोपालचंद्र डाड, पुलिस अधीक्षक श्री सुनील पांडेय, जिला पंचायत सीईओ श्री डीएस रणदा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। व्यापारी एनग्रेडेड उपज को ग्रेडेड करके दो गुना दाम पर बेचता है डॉ. पस्तोर ने किसानों को मंडी उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद के भाव के आंकलन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब किसान उपज मंडी में ले जाता है, तो व्यापारी उपज को देखकर भाव लगाता है। फिर उसी उपज को व्यापारी ग्रेडिंग करके 2 गुना दाम पर प्रोसेसर को बेंचता है। फिर प्रोसेसर से एक्सपोर्टर 2 गुना दाम पर खरीदता है। अगर किसान पैकेजिंग ऑफ प्रेक्टिस कर ले, तो वो सीधे एक्सपोर्टर को भी बेच सकता है। इसके लिए किसानों को उत्पादक संस्थाएं बनानी होगी, जो बड़ा ही आसान काम है। वही मंडी में ग्रेडिंग करके भी बेचे तो कही अधिक मुनाफा होगा। डॉ. पस्तोर ने चिली महोत्सव को लेकर कहा कि फसल आधारित कार्यक्रम को सराहनीय पहल बताया। कीट व्याधि के लिए कई विकल्प तकनीकी सत्र में इंदौर के वरिष्ठ एग्रो नॉमिस्ट मुरलीधर अय्यर ने कहा कि फसलों में लगने वाले कीट व्याधियों को को किसान कई तरीके से समाप्त या नियंत्रित कर सकता है। इसके लिए उनको सबसे पहले पारंपरिक विधि का उपयोग करना चाहिए। इसके बाद यांत्रिक, जैविक, वानस्पतिक और अंत में रासायनिक विधि का उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से लागत भी कम होगी और स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकता है। श्री अय्यर ने कहा कि फसल के आर्थिक नुकसान को निश्चित तौर पर ऊपर रखना चाहिए। टपक सिंचाई में जैविक और रासायनिक जल विलय खादों का समंवित उपयोग करे, तो लाभ ही होगा। तकनीकी सत्र के दौरान वैज्ञानिकों ने ड्रिप इरीगेशन, पानी के पीएच मान, पल्स इरीगेशन, फ्लूड इरीगेशन और उत्पादों को एगमार्क करके कैसे लाभ ले सकते है, इन बिंदुओं के बारे में भी बताया गया। साथ ही किसानों को उनके उत्पाद को एगमार्क लेने की प्रक्रिया ऑनलाईन समझाई गई। इस प्रक्रिया में 10 हजार रूपए खर्च करके प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है। इस एगमार्क के साथ किसान अपने उत्पाद की अच्छी ब्रांडिंग कर सकता है। |
रविवार, 1 मार्च 2020

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कृषि व्यवसाय बन गया है बस किसान मार्केटिंग सीखे- डॉ. पस्तोर चिली फेस्टिवल के तकनीकी सत्र में मिली तकनीकी जानकारियां
कृषि व्यवसाय बन गया है बस किसान मार्केटिंग सीखे- डॉ. पस्तोर चिली फेस्टिवल के तकनीकी सत्र में मिली तकनीकी जानकारियां
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