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शुक्रवार, 6 मार्च 2020

राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही के कर निर्धारण प्रकरणों के निराकरण के लिये समय-सीमा बढ़ाई गई

सतना | 06-मार्च-2020
 



 

 

 


    प्रदेश में वाणिज्यिक कर विभाग में व्यवसाइयों के वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही के विभिन्न अधिनियमों के कर निर्धारण प्रकरणों के निराकरण के लिये समय-सीमा 29 फरवरी से बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गई है। राज्य शासन द्वारा यह कार्यवाही व्यवसाइयों के व्यापक हित में की गई है। व्यवसाइयों को जीएसटी के अंतर्गत प्रतिमाह रिटर्न प्रस्तुत करना होता है। इसके साथ ही उन्हें जीएसटी की वार्षिक विवरणी प्रस्तुत की जानी थी। इस प्रकार की परिस्थितियों से उन्हें कर निर्धारण कराने में असुविधा हो रही थी। कर-दाताओं एवं कर सलाहकारों द्वारा यह तथ्य राज्य शासन के ध्यान में लाया गया, जिस पर पूर्ण विचार करते हुए राज्य शासन द्वारा कर-दाताओं को उक्त अवधि के प्रकरणों के निराकरण के लिये अधिक समय मिल सके, इसके लिये वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही के (जीएसटी लागू होने की पूर्व की अवधि) प्रकरणों के निराकरण के लिये समय-सीमा 29 फरवरी से बढ़ाकर 30 जून 2020 की जाकर व्यवसाय जगत को एक बड़ी राहत दी है।
    मध्यप्रदेश राज्य पूरे भारत देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कर-दाताओं से माह जनवरी का रिटर्न प्रस्तुत कराने में दूसरे स्थान पर रहा है। प्रदेश में जीएसटी के अंतर्गत 3 लाख 47 हजार पंजीयत करदाता मासिक चुकाने मासिक विवरणी प्रस्तुत करने के उत्तरदायी हैं, इनमें से लगभग 3 लाख 6 हजार कर-दाताओं द्वारा मासिक विवरण-पत्र GSTR&3B प्रस्तुत कर दिये गये हैं। इस प्रकार प्रदेश के लगभग 88 प्रतिशत कर-दाताओं द्वारा रिटर्न प्रस्तुत कर दिये गये हैं। अनेक राज्यों को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश राज्य के कर-दाताओं और कर सलाहकारों द्वारा पूर्ण उत्साह से अधिक से अधिक विवरणी प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह निश्चित रूप से प्रदेश के कर-दाताओं के लिये अत्यंत गौरव का विषय है।




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