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शुक्रवार, 26 जून 2020

पेंट शर्ट सिलकर श्रीमती कुंवर देगी घर की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती (खुशियों की दास्‍तां) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने दिखाई रोजगार की नई राह

मन्दसौर | 26-जून-2020
 



 

      गरीबी से जूझना तो हर किसी को आता है, वही दूसरी तरह गरीबी से हर कोई नहीं लड़ पाता है। लेकिन गरीबी से लड़ने का हौसला हमने अपनी आंखों से दलोदा तहसील के गांव दलोदा रेल की रहने वाली श्रीमती गोकल कुंवर के अंदर दिखाई दी। इनके अंदर जीने का जज्बा कुछ अलग ही प्रकार का है। ये अपने स्वाभिमान से जीती है। इनके हौसले की सलामी, समूह की सभी महिलाएं करती हैं। आपको बता दें कि श्रीमती कुंवर दलोदा रेल की रहने वाली है। इनकी अभी उम्र मात्र 30 वर्ष है। उन्होंने कक्षा 5वी तक पढ़ाई की हैं। घर की अत्यंत ही गरीब स्थिति होने के कारण यह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि इनके पास कोई जमीन भी नहीं है। सिर्फ यह मजदूरी से ही अपने जीवन यापन करती है तथा घर का खर्चा चलाती है। आज के समय में मजदूरी करके घर का खर्च चलाना व बच्चों को पढ़ाना कितना मुश्किल है, शायद कल्पना से परे भी है। इनके दो बच्चे हैं जिसमें एक बच्चा तीसरी तथा एक लड़की है जो की पहली कक्षा में पढ़ती है। इन सारी तमाम विकट परिस्थितियों को चुनोती देते हुए इन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से एक समूह से जुड़ी। समूह के माध्यम से इन को 10 हजार रुपये की सहायता मिली। इस सहायता से उन्होंने सिलाई मशीन ली तथा आजीविका मिशन के माध्यम से ही इनको 10 दिवस की सिलाई मशीन की विशेष ट्रेनिंग भी दी गई। अब घर पर यह सिलाई के काम के साथ-साथ रेडीमेड कपड़े भी सिलती है। यह पैंट शर्ट के साथ ही लेडीस के सभी तरह के भी कपड़े बनालेती हैं। यह कहती हैं कि मैं पेंट शर्ट की एक अच्छी दुकान चलाऊंगी। जहां से मुझे बहुत सारी इनकम होगी। जिससे मेरे घर की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी। पति मजदूरी करते हैं, जिससे भी घर के खर्चे की पूर्ति नहीं हो पाती है। लेकिन मैंने हिम्मत जुटाकर समूह से जुड़कर सिलाई का कार्य प्रारंभ किया है और मैं इसको और भी आगे ले जाऊंगी। मेरे कार्य से मेरे आस पड़ोस की जो भी गरीब महिला हैं, उन सभी को प्रोत्साहित भी करूंगी, जिससे वह भी सशक्त बन सके।
 



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