श्योपुर | |
आदिवासी विकासखण्ड कराहल के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक श्री नंदलाल रिडायर्ड होने के बाद शिक्षक का लिबास ही बच्चो को आला की तर्ज कर गाकर कराते है। सहरिया मातृ भाषा में अक्षर ज्ञान प्रदान करने में सहायक बन रहे है। उनको वर्णमाला की रचना एवं मौलिक शिक्षा पद्धति के लिए राष्ट्रपति सम्मान मिला है। रिटायर्ड शिक्षक श्री नंदलाल आदिवासी कोरोना काल में सभी सरकारी और निजी स्कूल भले ही बच्चो के लिए बंद है। लेकिन आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड कराहल में सहरिया बच्चो के लिए चलता-फिरता स्कूल बन गये है। उनका जुनून और जज्बा कोरोना काल में भी सहरिया बच्चो को उन्ही की भाषा में अक्षर ज्ञान करा रहा है। बच्चो को पढाने के लिए डमरू बजाकर पाठशाला में एकत्रित करते है। क्षेत्र के अलावा अपने घर पर भी आने वाले बच्चो को पूरी मुस्तैदी के साथ पढा रहे है। पिछले 08 साल से गांव-गांव और बस्ती-बस्ती जाकर सहरिया बच्चो में पढाई की अभिरूचि पैदा करने के लिए रिटायर्ड शिक्षक श्री नंदलाल अल्हा उदल की तर्ज पर बच्चो को गीत सुनाकर उनके मन को मोहने में सहायक बन रहे है। धोती-कुर्ता व जैकेट उनका पहनने का शौक है। उन्होने अपने जैकेट के पीछे चलती-फिरती पाठशाला भी लिख रखी है। वही उनके कुर्ते पर शिक्षा के महत्व को दर्शाते प्रेरणादायक वाक्य लिखवा रखे है। उनका पढाने का अदांज भी सबसे अलग है। सहरिया बच्चो को उनकी बोलचाल की भाषा में अंक और अक्षर ज्ञान कराते है। रिटायर्ड होने के पहले सन् 2010 में उनको राष्ट्रपति सम्मान सहित 03 राष्ट्रीय पुरूस्कार दिये गये है। कोरोना काल में सिर्फ इतना अंतर आया है कि पिछले 04 महीने से कराहल क्षेत्र के आस-पास गांव/बस्तियो में जाकर सहरिया परिवारो के छात्रो को उनकी भाषा में वर्णमाला का ज्ञान प्रदान कर रहे है। रिटायर्ड शिक्षक श्री नदंलाल द्वारा हाई स्कूल तक पढाई करने के बाद आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आश्रम में शिक्षक के पद पर कार्य किया। स्वरूचि वर्णमाला और मौलिक शिक्षा पद्धति अपनाने के लिए उन्हे दिल्ली में राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील द्वारा शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया था। इससे पूर्व राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा राज्य स्तरीय पुरूस्कार दिया गया। जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के रिटायर्ड शिक्षक श्री नंदलाल आदिवासी ने बताया कि रिटायर्ड होने के बाद मेरे द्वारा सहरिया परिवारो के बच्चो में पाठशाला लगाकर सहरिया भाषा में अक्षर ज्ञान प्रदान करने की ललक पैदा हुई थी। साथ ही बच्चो में ज्ञान के विकास के कैरियर बनाने के प्रति जिज्ञासा पैदा हुई। विगत 08 साल से अपने निवास के अलावा क्षेत्र की सहरिया बस्तियो में जाकर चलित पाठशाला के माध्यम से आल्हा उदल की तर्ज पर उनको गीत सिखाने के अलावा ब्लैक बोर्ड पर भी अक्षरो का ज्ञान प्रदान करने में सहायक बन रहा हूॅ। |
सोमवार, 7 सितंबर 2020

Home
Unlabelled
स्कूल बंद होने के बावजूद सहरिया बच्चो को अक्षर ज्ञान सिखा रहे है नंदलाल "सफलता की कहानी"
स्कूल बंद होने के बावजूद सहरिया बच्चो को अक्षर ज्ञान सिखा रहे है नंदलाल "सफलता की कहानी"
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Bottom Ad
Responsive Ads Here
Author Details
Templatesyard is a blogger resources site is a provider of high quality blogger template with premium looking layout and robust design. The main mission of templatesyard is to provide the best quality blogger templates which are professionally designed and perfectlly seo optimized to deliver best result for your blog.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें