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रविवार, 22 नवंबर 2020

25 एवं 27 नवम्बर को मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस वनाधिकार पट्टों का वितरण एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित होंगे, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की तैयारियों की समीक्षा

अनुपपुर | 


 

 


     मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग एवं कमजोर वर्गों का सर्वांगीण विकास और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता है। उनके मन में यह विश्वास होना चाहिए कि सरकार हरदम उनके साथ खड़ी है। हमें उनका आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक सशक्तीकरण करना है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने तथा समाज में श्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस मनाए जा रहे हैं। उमरिया जिले में 25 नवम्बर को तथा बड़वानी जिले में 27 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा।
    मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में आयोजन की व्यवस्थाओं के संबंध में बैठक ले रहे थे।  बैठक में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव श्री शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव श्रीमती पल्लवी जैन गोविल आदि उपस्थित थे।

एक हजार से अधिक वनाधिकार पट्टों का वितरण

    जनजातीय गौरव दिवस के अंतर्गत बड़वानी जिले में एक हजार तथा उमरिया जिले में 28 वनाधिकार पट्टों का वितरण किया जाएगा। नवीन स्वीकृत शासकीय संस्थाओं के भवनों के निर्माण का भूमिपूजन किया जाएगा तथा स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की विक्रय प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

मेधावी विद्यार्थी होंगे सम्मानित

    कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति वर्ग के जेईई, नीट एवं क्लैट में चयनित विद्यार्थियों को जनजातीय गौरव सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। जनजातीय वीरों की गाथा पर आधारित फिल्म रणबांकुरे का प्रदर्शन भी किया जाएगा।

"समरस छात्रावास" बनाएं

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के विकास के साथ ही उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना आवश्यक है। हम जाति भेद को समाप्त कर समाज में समरसता लाना चाहते हैं। इसके लिए प्रदेश में "समरस छात्रावासों" की स्थापना की जाएगी, जिनमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के साथ ही अन्य वर्ग के विद्यार्थी भी रहेंगे।

अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिलों में "फूड पार्क"

    प्रदेश के अनुसूचित जनजाति जिलों में "फूड पार्क" बनाए जाने की भी योजना है जिनमें उन क्षेत्रों के उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही आदिवासी समाज की परम्परागत औषधियों को बढ़ावा दिए जाने की भी योजना है। आदिवासी बोलियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।




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