सतना | |
कृषि अनुसंधान केंद्र ने किसानों को चना फसल के संबंध में सलाह दी है कि चना की बुआई के लिये खेत को तैयार करते समय 2-3 जुताईयां कर खेत को समतल बनाने के लिये पाटा लगाये और तापमान को ध्यान में रखते हुये खेत की तैयारी शुरू करें। बुआई के लिये उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर क्रय करें। चना बीजों की उन्नत किस्मों में जवाहर चना-12, जवाहर चना-14, जवाहर चना-218, विजय, जवाहर चना-322, जवाहर चना-11, जवाहर चना-130, बी.जी.डी.-172, जाकी-9218 आदि लोकप्रिय किस्मों की बुआई करें। बीजजनित रोगों की रोकथाम के लिये बोनी के पूर्व 5-8 ग्राम ट्राईकोडर्मा बिरडी प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करने के बाद 5 ग्राम राईजोबियम व 5 ग्राम पी.एस.बी. कल्चर से बीजोपचार करें। ट्राईकोडर्मा बिरडी नहीं मिलने पर 3 ग्राम थिरम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करने के बाद राईजोबियम व पी.एस.बी. कल्चर से बीजोपचार करें। चने के जिन खेतों में उकटा और कॉलर रॉड बीमारी का प्रतिवर्ष प्रकोप होता है, वहां पर फसल चक्र अपनाते हुये चने के स्थान पर गेहूं, तिवड़ा, कुसुम अथवा अलसी की बुआई करें। |
रविवार, 1 नवंबर 2020

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किसानों को चना फसल के संबंध में कृषि कार्य करने की सलाह
किसानों को चना फसल के संबंध में कृषि कार्य करने की सलाह
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