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गुरुवार, 29 जुलाई 2021

चिकुनगुनिया की जाँच, उपचार एवं नियंत्रण संबंधी प्रोटाकॉल

 

मन्दसौर | 29-जुलाई-2021
 
    डेंगू, चिकुनगुनियां का आउटब्रेक, एपिडेमिक न हो इस हेतु अभी से बचाव व नियंत्रण के प्रभावी उपाय किये जाना आवश्यक है। डेंगू बुखार (बीमारी) डेन नामक वायरस के कारण होती है एवं एडीज मच्छर के द्वारा फैलाई जाती है। एडीज मच्छर के काटने से बचाव कर एवं एडीज मच्छर की पैदाइश घरों में रोककर इस बीमारी से बचा जा सकता है। इन बीमारी के नियंत्रण हेतु बचाव व जागरूकता ही महत्वपूर्ण उपाय है। डेंगू बुखार के लक्षण 2-7 दिन बुखार, सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, आँखों के आसपास दर्द ( Retroorbital Pain) खसरा के जैसे चकते दाने छाती और दोनों हाथों में हो सकते है।  गंभीर अवस्था में नाक, मसुडों, पेट एवं आंत (Gastrointestinal Tract) से खून का रिसाव होना।
डेंगू की जाँच
    एक से पाँच दिन तक बुखार होने पर एन.एस-1 एलाईजा एवं पाँच दिन से अधिक का बुखार होने पर मेक-एलाईजा (आई.जी.एम)किट से जाँच की जाती है। वर्तमान में जिला अस्पताल मंदसौर में इस जाँच की व्यवस्था उपलब्ध है। संभावित डेंगू मरीज के सेम्पल प्राप्त होने पर जाँच की जाती है।
डेंगू का उपचार
    डेंगू के मरीज को लक्षण के आधार पर उपचार दिया जाता है। मरीज को डाँक्टर की सलाह पर केवल पैरासिटामोल का सेवन करना चाहिए। मरीज को सेलिसिलेट, एस्प्रिन अथवा अन्य दर्द निवारक गोली का सेवन नही करना चाहिए। मरीज को डिहाइट्रेशन न हो इस हेतु पेय जैसे –जूस, चॉवल का पानी, फलों का रस, पानी एवं ओ.आर.एस का घोल लेना चाहिए।
डेंगू का फैलाव
     डेंगू बीमारी एडिज(टाइगर मच्छर) नामक संक्रमित मच्छर से मनुष्य में एवं डेंगू पीडित व्यक्ति से एडिज मच्छर तक आपस में आदान-प्रदान होती है। यह मच्छर घर के अन्दर एवं घर के बाहर अंधेरे एवं नमीयुक्त जगह, बर्तन पर, घरों में आलमारी के पीछे, सौफे के पीछे, लटकते हुए कपड़ों के पीछे, पर्दो के आसपास, फर्नीचर के नीचे, टी.वी के पीछे, लटकते हुए वायर, रस्सी, छाते आदि पर छिपकर बैठते है। सामान्यतः यह मच्छर दिन में काटते है। इन मच्छर की उड़ान करीब 400 मीटर की होती है।
एडीज मच्छर कहाँ पैदा होता है
    एडीज मच्छर कन्टेनर ब्रीडर है। यह मच्छर घरों में साफ पानी से भरे कन्टेनर जैसे:- अण्डर ग्राउंड टैंक, बैरल, टायर, सीमेंट की टंकियाँ, शौचालय में रखे मटके, बाल्टियाँ, कूलर, फ्रीज की ट्रे, गमले, घरों की छतों पर रखे अनुपयोगी सामान, छतो व गेलरी में रूके हुए पानी, टूटे-फूटे बर्तन-कप, मग,मटके, शीशियाँ, पॉलीथीन, चिड़िया के पानी पीने के बर्तन आदि में भरे पानी में पैदा होते है।
नियंत्रण
    घरों के अंदर कन्टेनरों में पानी पाँच-छः दिन से अधिक समय तक जमा न रहने दे। पानी संग्रहण करने वाल बर्तन को ढंक कर रखे जिससे मच्छर पैदा न हो पाये। पानी हमेशा बदलते रहे। नया पानी भरने से पूर्व बर्तन अच्छी तरह धोने के पश्चात् पानी भरे। यह प्रक्रिया निरंतर पाँच-छः दिन अंतराल में करते रहे। सप्ताह में एक दिन सुखा दिवस मनाये।  जिन  टंकियों को खाली नही कर सकते उसमें टेमोफॉस का घोल, जला हुआ आइल, खाने का आइल को नियमित अन्तराल में वाटर बाडी में डालकर मच्छर को लार्वा अवस्था पैदा होने से रोक सकते है।
पॉजीटीव होने पर रोकथाम
    डेंगू फैलाने वाले मच्छर की उड़ान 400 मीटर की होती है। डेंगू पॉजीटीव केस आने पर मरीज के घर के चारों ओर 400 मीटर परिधि में डेंगू मच्छर के उत्पति स्थलों का निरंतर निरीक्षण अथवा लार्वा सर्वे कर डेंगू मच्छर के उत्पति स्थलों मे मच्छर पैदा होने से रोकने हेतु साफ पानी के जल स्त्रोतों (कंटेनरों) मे लार्वा चैक किया जाता है एवं पानी खाली करवाकर मच्छर के पैदा होने से रोकते है। जन जागरूकता की जाती है। जिन जल स्त्रोतों को खाली न कर सकते उनमें टेमोफॉस का घोल अथवा जला हुआ आइल, केरोसीन आदि डालकर मच्छर पैदा होने से रोकते है। वयस्क मच्छर को नष्ट करने के लिए पॉजीटीव मरीज के घर व आसपास के घरों में पायरेथ्रम का स्पेस स्प्रे अथवा पॉजीटीव घर में धुआं करने की सलाह दी जाती है। डेंगू एक वाइरस से होने वाली साधरण सी बीमारी है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। समय से उपचार लेने पर यह बीमारी ठीक हो जाती है। इस बीमारी से बचाव हेतु मच्छर की उत्पति स्थलों में पैदा होने से रोककर, मच्छरों से काटने से बचाव के उपाय कर बीमारी को फैलने से बचा जा सकता है।  यह बीमारी छोटे बच्चे, बुढे इंसान व गर्भवती माताओं को अधिक प्रभावित करती है। क्योंकि यह मच्छर दिन के समय काटता है। सामान्यतः यह लोग अधिकतर समय घर में ही व्यतीत करते है। अतः इन्हें मच्छरों से काटने से बचाकर इस बीमारी से होने से रोका जा सकता है।

 

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