क्या भाग्य हैं इस शिला के ...
वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है , कि ये शालिग्राम शिला 6 करोड़ वर्ष पुराना है , और ईश्वर प्रेरणा से इसे राम बनना तय हुआ
bhopal
कितनी लंबी तपस्या है इस पत्थर की ...
एक शापित स्त्री अहिल्या पत्थर बनी थी। फिर हजारों वर्षों के प्रतीक्षा के बाद श्रीराम के स्पर्श मात्र से पुनः अपने स्वरूप को प्राप्त हुई और आज एक पत्थर करोड़ों वर्षों के प्रतीक्षा के बाद स्वयं श्रीराम बनने जा रहा है।
ना कोई पूर्व सूचना ना कोई तैयारी फिर भी नेपाल से अयोध्या तक की इस शालिग्राम शिला कि यात्रा में ऐतिहासिक जनसैलाब उमड़ा।
ये यात्रा जहां नहीं गई वहां के लोग भी कह रहे हैं, काश! हमारे यहां भी ये यात्रा आता, हम भी उस सौभाग्यशाली शिला के दर्शन करते जिसे राम बनना है। और जहां ये यात्रा गई हर शहर हर ग्राम में हाथ जोड़े हजारों/लाखों बच्चे , बूढ़े , युवक , युवतियां एक झलक पाने को , स्पर्श करने को लालायित दिखीं।
500 वर्षों के लंबे संघर्ष और प्रतीक्षा के बाद जो होने जा रहे मंदिर निर्माण का आनंद , उत्साह हर भारतवासी में है। करोड़ों लोग उस भव्य राम मंदिर की प्रतीक्षा में हैं जिसके लिए उनके पूर्वजों ने बलिदान दिया , संघर्ष किया।
राम इस देश के कण कण में हैं इसे सिद्ध किया है इस शालिग्राम शिला ने....
इस पत्थर पर जब छेनी , हथौड़ी चलेंगे तो ये अपने को परम सौभाग्यशाली समझकर सहर्ष उसे सहन करेगा क्योंकि श्रीराम विग्रह बनने से पहले ही ये इतना पूजित हो चुका है , जो भूतकाल में किसी के नसीब में नही हुआ ।
हर पत्थर के नसीब में राम बनना नहीं लिखा होता...
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